अगर हमें अपनी नजरें चारों ओर दौड़ाए तो प्रत्येक चीज एक निश्चित आकार में दिखाई देती है चाहे वह साइकिल हो, कपड़ा हो, घर हो, ईंट हो, गाड़ी हो, दरवाजा हो इत्यादि। प्रत्येक वस्तु का अपना आकार और रंग होता है। इस तरह हम आसानी से कह सकते हैं कि प्रत्येक वस्तु को कला के अनुरूप बनाया क्या है जितनी भी वस्तुएं हम अपने आस पास देखते हैं, कुछ प्राकृतिक होती हैं और कुछ कृत्रिम होती हैं। कृत्रिम वस्तुओं का निर्माण मानव के द्वारा किया जाता है जो कि एक कला का रूप है। इसी तरह हमारे दैनिक जीवन में कला या आलेखन कला (चित्रकला) का बहुत अधिक महत्व है। इसके द्वारा अपनी कल्पनाओं, देखे हुए रूपों को, ड्राइंग शीट या अन्य स्थान जैसे किसी वस्तु के ऊपर, दरवाजे पर, कपड़े पर इत्यादि अनेकों जगहों पर, आलेखन को उतारने की प्रक्रिया आलेखन कला के द्वारा की जाती है।
बिना रंग के आलेखन कला |
आलेखन कला के प्रयोग (Applications/Use of Design Drawing in Hindi) -:
1) भवनों को सुंदर दिखने के लिए उसमें आलेखन कला/चित्रकला के द्वारा कई तरह के आकार और विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाई जाती है।
2) आलेखन कला के अंतर्गत दीवारों पर पेंट करना या आकार बनाना या विज्ञापन के दौरान आकार बनाना भी आलेखन कला के अंतर्गत ही आता है। जिससे दीवार की गुणवत्ता बढ़ जाती है और वे आकर्षक और सुंदर दिखाई देते हैं।
3) फर्श के निर्माण पर भी कई प्रकार के चित्रकला का उपयोग किया जाता है जो आलेखन कला के अंतर्गत आते हैं।
4) दिखाने वाले गाड़ियों पर भी रंगों के माध्यम से उन्हें आकर्षक बनाया जाता है और उन पर कई तरह का डिजाइन में आकार बना दिए जाते हैं जो आलेखन कला के अंतर्गत आते हैं।
5) हाथ से शीट पर चित्रों को बनाना और उसे पेंट करना भी आलेखन कला है।
6) पुरानी पेंटिंग और नए पेंटिंग का निर्माण भी आलेखन कला के अंतर्गत किया जाता है।
7) बर्तनों पर चित्र का निर्माण करना जी आलेखन कला के अंतर्गत आता है।
8) कपड़े पर विभिन्न रंगों और चित्रों का बना हुआ होना भी आलेखन कला ही है।
9) लकड़ी के दरवाजों, टेबल, कुर्सी, अन्य फर्नीचर पर इत्यादि पर भी आलेखन कला का प्रयोग किया जाता है।
10) मिट्टी के बने हुए बर्तनों पर आलेखन कला के द्वारा चित्र का निर्माण और वांछित रंगों को भरा जाता है।