इस लेख में हम जानेंगे बॉयलर किसे कहते हैं और बॉयलर का क्या अर्थ होता है, आइये जानते हैं boiler kise kahate hain और इसमें ईंधन के रूप में क्या उपयोग होता है।
बॉयलर या वाष्पक किसे कहते हैं (Boiler definition in Hindi) -:
वाष्पक या Boiler एक ऐसा बन्द पात्र होता है जिसमें जल या कोई अन्य द्रव गर्म किया जाता है। इसमें जो द्रव गर्म होता उससे वाष्प उत्पन्न होती है। इस उत्पन्न हुए वाष्प को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था की गई होती है। इस वाष्प को बॉयलर से बाहर निकालकर विभिन्न प्रकार के कई Procees या किसी पदार्थ को गर्म करने के लिये उपयोग में लाया जाता है।
बॉयलर का मुख्य उद्देश्य वाष्प उत्पन्न करना और उस वाष्प को उपयोग मे लाना है। इसलिए बॉयलर का अर्थ वाष्पक होता है। Boiler की डिजाइन इस प्रकार बनाई गई होती है कि जब द्रव गर्म किया जाए तो कम से कम उष्मा बर्बाद हो तथा यह Boiler वाष्प का दाब भी सहन कर सके।
बॉयलर में जिस द्रव को वाष्पीकृत किया जाता है उसका भी उपयोग कर लिया जाता है। जब बॉयलर में द्रव से वाष्प निकाल लिया जाता है तो बचे हुए गर्म तरल को उपयोग ला लिया जाता है।
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बॉयलर - Source विकिपीडिया |
बॉयलर से निकले इस गर्म तरल का उपयोग जल का ऊष्मीकरण, केन्द्रीय ऊष्मीकरण, वाष्पक-आधारित शक्ति-उत्पादन, भोजन बनाने और सफाई आदि कार्यो के लिये किया जाता है।
वास्तव में देखा जाए तो बॉयलर आकार बिल्कुल गोल चाहिए परंतु गोल होने पर यह सही से टिक नहीं पता है और उत्पन्न ऊष्मा के गर्मी को सही स्थान पर अच्छी तरह पहुंचा नहीं पाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बॉयलर का आकार बेलनाकार कर दिया गया है जिससे यह आसानी से एक जहां टिक सके और अधिक से अधिक गर्मी कार्य के लिए पहुंचा सके।
उपयोग के आवश्यकतानुसार एक बॉयलर या एक से अधिक बॉयलर का उपयोग किया जा सकता है। बॉयलर खतरनाक होता है अगर थोड़ी सी भी सुरक्षा में चूक हुई तो काफी अत्यधिक मात्रा में जन-धन और जान-माल की हानि हो सकती है।
इसलिये बॉयलरों के बनाने और संचालन के करने के लिए, जनता की सुरक्षा और बॉयलरों की कार्यक्षमता की दृष्टि से एक अलग नियम और कानून बनाया गया है, जिसके कुछ आवश्यक वैज्ञानिक नियम राज्यों के विधान में भी आ गए हैं। इन नियमों का पालन करना बॉयलरों का प्रत्येक प्रयोगकर्ता आवश्यक है।
बॉयलर के प्रकार -:
वैसे तो बॉयलर कई प्रकार के होते हैं परंतु बॉयलर में जल एवं गर्म गैसों गैसों के प्रवाह के आधार पर बॉयलर को मुख्यतः दो भागो में बांटा गया है।
1. जल-नलिका बॉयलर (Water Tube Boiler) -
इस प्रकार के boiler में भरण जल नालियों के भीतर बहता है तथा भट्टी की गरम गैस नलियों के ऊपर प्रवाहित होती है।
उदाहरण - स्टर्लिंग बॉयलर
2. अग्नि - नलिका ढोलाकार बॉयलर (Fire tube Boiler) -
इस बॉयलर में भट्टी के अंदर की गर्म गैसे नालियों के भीतर प्रवाहित होती हैं तथा भरण जल इन नलियों के ऊपर से प्रवाहित होता है।
उदाहरण - लंकाशायर बॉयलर, रेल इंजन बॉयलर आदि आदि, रेल इंजन बॉयलर आदि।
Note -: Water Tube Boiler और Fire tube Boiler के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न Link पर Click करें....
- Water Tube Boiler का वर्णन....विकिपीडिया
- Fire tube Boiler का वर्णन.....विकिपीडिया
- बॉयलर का वर्गीकरण.....विस्तार से
बॉयलर का ईंधन (Fuel of Boiler in Hindi) -:
बॉयलर में सामन्यतः ठोस, द्रव और गैसीय ईंधन में से कोई भी ईंधन प्रयोग लाया जा सकता है, बॉयलर में वही ईंधन प्रयोग किए जाते हैं जिस ईंधन से बॉयलर को सुविधा प्राप्त हो।
बॉयलर में जिस ईंधन का प्रयोग किया जाता है उसी ईंधन के आधार पर ये ऊष्मा भी हमें देते है। बॉयलर में अलग-अलग ईंधन इस्तेमाल करने से उनका उष्मीय मान भी अलग अलग होता है। बॉयलर में साधारणतया कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी तथा गैसें इत्यादि प्रयुक्त होती है। बॉयलर बनाते समय निश्चित किया जाता है कि कौन से बॉयलर में किस ईंधन का उपयोग किया जाएगा।
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